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अमेरिका को सीखा रहे अध्यात्म का विज्ञान

Written by Divine Connection | Sep 28, 2024 11:47:26 AM

अमेरिका को सीखा रहे अध्यात्म का विज्ञान

यूं तो भारत देश बड़े-बड़े ऋषि मुनियों, विचारकों, विश्लेषकों, वैज्ञानिकों की जन्म स्थली रही है। हमारा अध्यात्म पूरी दुनिया में सराहा गया है। टेक्नोलॉजी और विज्ञान के इस दौर में आध्यात्म, आशीर्वाद (ब्लेसिंग) को वैज्ञानिक कसौटी पर खरा उतारकर पूरी दुनिया को जीवधारी प्राणी, वृक्षों, मैदानों, फूलों में ब्लेसिंग का उदात्तकरण (ट्रांसमिशन) की अलौकिक शक्ति का लोहार मनवाने का काम फिलहाल त्रिवेदी फाउंडेशन कर रहा है। त्रिवेदी फाउंडेशन के संस्थापक महेंद्र कुमार त्रिवेदी को ताकत ऊर्जा संप्रेषण (पॉवरफुल एनर्जी ट्रांसमिशन) पुरुष के रूप में जाना जा रहा है। मानव, पशु, फसल और पर्यावरण में ऊर्जा बढ़ाने के कई प्रयोग अमेरिका के विभिन्न शहरों में किया जा चुका है। गुरुजी के नाम से प्रख्यात त्रिवेदीजी का कहना है कि मैं कोई आध्यात्मिक गुरु या आस्था का प्रतीक नहीं हूं। हम उस परावैज्ञानिक शक्ति को ब्लेसिंग के जरिये दूसरे जीवों व अन्य जीवधारी प्राणियों तक पहुंचाने का एक अंतरचेतना विकसित करने का काम करते है। अब तक एक लाख से ज्यादा देसी-विदेशी लोगों ने इस आशीर्वाद (ब्लेसिंग) का लाभ उठाया है। जिनमें असाध्य बीमारियों से छुटकारा के अलावा स्मृति शक्ति बढ़ाने और आत्मविश्वास तथा मानसिक स्पष्टिकरण देकर स्वस्थ जीवन जीने का प्रयास करते है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया में इस ब्लेसिंग के जरिये जो लोग रूबरू हुए है। वे इसे एक अद्भुत चमत्कार मानते हैं। वैज्ञानिकों, चिकित्सकों की उपस्थिति में किए जाने वाले ब्लेसिंग प्रोग्राम (आशीर्वाद कार्यक्रम) से लोगों को जो अनुभव मिल रहा है। वह काफी आश्चर्यजनक है। एक ही व्यक्ति में 10 वर्ष पहले और ब्लेसिंग के बाद आये शारीरिक ऊर्जा के बदलाव को अनुभव किया जा चुका है। यहीं नहीं एक ही खेत में बिना ब्लेसिंग और ब्लेसिंग किये गये एक ही किस्म का बीज (अनाज) रोपे गये और बोये जाने पर पता चला कि दोनों के विकास और बढ़त में काफी अंतर आया है। इस संदर्भ में महेन्द्र त्रिवेदी का कहना है कि यह उस गुप्त शक्ति के चलते होता है जो यूं तो सब में है लेकिन विकास किसी एक में ही होता है। अमेरिका के अलावा भारत में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के अन्य जिलों में भी इस तरह का प्रयोग कृषि वैज्ञानिकों एवं अन्य वैज्ञानिकों की उपस्थिति में किया जा चुका है। इसे देखते हुए लगता है कि अगला युग इस ऊर्जा के संबंध में नई खोज का होगा।