पर्यावरण के लिए सबसे ख़तरनाक है कीटनाशक। इससे बचने के लिए आध्यात्मिक वि वैज्ञानिक संतुलन बनाते हुए बिना रसायन के कृषि उत्पाद की संभावना विकसित करना ।
मुंबई केवल औद्योगिक विकास की ही जगह नहीं है बल्कि सामाजिक, वैज्ञानिक और सबसे बड़ी बात आध्यात्मिक सोच को यहां बल मिलता है। चूंकि अपने अपने क्षेत्र में देश के शीर्ष विशेषज्ञ मुंबई में बसना पसंद करते है, इसलिए यहां मानक काफी बुलंद है। यह मानना है विश्व के ३५ देशों में विज्ञान को चुनौती देने वाले विश्व गुरु महेन्द्र कुमार त्रिवेदी का।
गुरु त्रिवेदी ने विश्व भ्रमण से पहले मुंबई समेत भारत के कई महानगरों का दौरा किया। अपने अनुभव के आधार पर उनका मानना है कि मुंबई की जीवटता यहां के लोगों का अदम्य साहस इस तथ्य का प्रमाण है कि कर्म प्रधान विश्व रचि राखा। वैसे उनका मानना है कि 1850 से लेकर अब तक एक भी भारतीय ने विज्ञान के आविष्कार में वह स्थान नहीं बनाया जो यहां कि मिट्टी में मिलना चाहिए। यही वजह है आज विदेशों में भारतीय अध्यात्म को कभी-कभी शंका की नजर से देखा जाता है। सभी समस्याओं का अंत करने में अध्यात्म की महती भूमिका है। यही नहीं भारत में आध्यात्मिक गुरु पैदा होते रहे हैं। वैसे यह दुर्भाग्य है कि देश में गुरु पैदा तो होते हैं लेकिन भारत में पनप नहीं पाते। यह सच्चाई है। लेकिन यह केवल देश के सत्तााधीशों की गलती ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक गुरुओं को भी हमेशा वर्ल्डवाइड मिशन को लेकर आध्यात्मिक शक्ति के वैज्ञानिक परीक्षण के लिए तैयार रहना चाहिए। 2004 में नासा ने नए उपकरण से विश्लेषण करके गुरु की आध्यात्मिक और देह में निहित दैवी ताकत का विश्लेषण किया। जिसमें साधारण मनुष्य 2 मिनट भी जीवित नहीं रह सकता, लेकिन गुरु ने वह कर दिखाया और वैज्ञानिकों ने उसे सही ठहराया। मुंबई में हर तरह के विकास की जो संभावनाएं हैं उनमें कई तरह के परीक्षण किए जा सकते हैं। जीन सिक्वेंस को अल्टर करने का असंभव काम भी भारत में कर दिखाया गया है। इसके लिए 72 प्रयोग किए जा चुके हैं। जिसमें जबलपुर, बनारस, पंतनगर, हिसार, दहौली आदि जगहों पर इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट तथा इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च सेंटर या नेचुरल वेजिटेबल रिसर्च सेंटर में किए गए प्रयोगों के आधार पर यह निष्कर्ष हुआ कि बिना कीटनाशक और रासायनिक खाद का प्रयोग किए बगैर कृषि उत्पादन में क्रांति लाई जा सकती है। इसके लिए www.divinelife.us के जरिए इसकी पुष्टि की जा सकती है। इस तरह के कई प्रयोग किए जा चुके हैं। पर्यावरण को बचाते हुए खेती बागवानी को सर्वोत्तम बनाने का उपक्रम किया जा सकता है। क्योंकि पर्यावरण को सबसे अधिक खतरा कीटनाशकों से ही होता है। आर्गेनिक खेती के जरिए प्रदूषण को रोका जा सकता है। इस तरह की संभावनाओं का केंद्र कनाडा और अमेरिका के अलावा मुंबई में बनाया जा सकता है।