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April 13, 2017
India
इटावा में विदेशियों ने देखे खेत-खलिहान और चलाया हल
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अमेरिका और रूस समेत आधा दर्जन देशों से इटावा आए सैलानियों के लिए यह कभी न भूलने वाले पल रहेंगे। भारत की मिट्टी की सोंधी महक से वह ऐसे अभिभूत हुए मानो वो वर्षों से यहां के परिवेश में रहे-ढले हों। आसमान से बरसती आग के बीच किसानों को खेती करते देख मन में उत्सुकता जगी और वे खुद को रोक नहीं सके। बैलों की कमान अपने हाथ में ली और खेतों की जुताई में जुट गए। सुलगते अंगारों के बीच भट्ठों पर जाकर ईंटें बनाने के तरीके देखे। गांव की पाठशालाओं में जाकर बच्चों का मनोबल बढ़ाया और उनसे देश की संस्कृति पर चर्चा की।

बकेवर के इंद्रापुर का यह नजारा हर किसी के लिए किसी अचंभे से कम नहीं था। सालों पहले सात समंदर पार चले गए महेंद्र त्रिवेदी गुरुवार को गांव स्थित अपनी ननिहाल आए थे। अमेरिका के लॉस वेगास में रहने वाले महेंद्र इस बार अकेले नहीं, बल्कि अपने साथ अमेरिका, रूस, फिनलैंड, इंग्लैण्ड, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों के नागरिकों को लेकर भारतीय संस्कृति और सभ्यता की साक्षात झलक दिखलाने आए थे। यही वजह थी कि सर्दी में रहने वाले इन लोगों को न तो गर्मी की चिंता थी और न ही थकान थी। दोपहर को जब 40 डिग्री का पारा गर्मी का सितम बरसा रहा था तो सभी एक साथ पैदल ही खेतों की ओर से निकल पड़े। पसीने से सराबोर इन लोगों के मन में कई जिज्ञासाएं कौंध रही थीं जो कुछ ही देर में शांत हो गईं। चार घंटे तक तपिश के बीच यही सब चलता रहा। खेतों की ओर रुख किया तो अचंभा हुआ कि इतनी गर्मी में किसान बैलों से जुताई कैसे कर रहे हैं। फिर क्या था, उन्होंने खुद बैलों की रस्सी थाम ली और खेत जोतने लगे।

ईंट बनाते हुए देखा और बच्चों के स्कूल गए

भरथना बकेबर मार्ग स्थित एक ईंट भट्टे पर यूएसए, कनाडा, फिनलैंड, इन्डोनेशिया देशों के दो दर्जन से अधिक सैलानी पहुंचे। उनके साथ आए उनके आध्यात्मिक गुरु महेश त्रिवेदी ने मिट्टी से बनने वाली ईंट और मिटटी ईंट को पकाने वाले भट्टे के बारे में जानकारी दी। भट्ठे पर पहुंचे विदेशियों ने ईंटों के बनाने के तरीके देख अचंभित हो उठे। अपने हाथों में गर्म ईंटें लेकर उसे जाना-परखा। विदेशी सैलानी गांव के प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल के बच्चों से मिलना भी नहीं भूले। बच्चों के साथ कुछ समय बिताकर उनके बारे में जाना। स्टूडेंट बनकर उनसे कई चीजें सीखने का प्रयास किया। इस मौके पर होली प्वांइट संचालक प्रदीप चन्द्र पान्डेय, विनय उर्फ बिटटू,थाना प्रभारी निरीक्षक सुनील कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।

डेजी तो फिदा हो गईं

आस्ट्रेलिया से आईं डेजी ने भी भारतीयों की शान में कसीदे पढ़े। उन्होंने कहा कि जो देखा वह किसी अनुभूति से कम नहीं है। भारतीय संस्कृति और सहनशीलता पर गर्व है। यह विदेशों मे रहने वालों के लिए बड़ी सीख है कि मेहनत और लगनशीलता भारतीयों से ही सीखी जा सकती है। यह हमारा सौभाग्य है कि कुछ समय के लिए ही सही पर भारत आकर कई बातें सीखने के लिए तो मिलीं। उन्होंने कहा कि इतनी गर्मी में यहां के किसान खेत में काम कर रहे हैं। इनसे बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। स्कूलों मे जाकर बच्चों से बात करने में ऐसा लगा कि उनसे भी एक शिक्षक की तरह कई बातें जानने की जरूरत है। ऑस्ट्रेलिया की डेजी ने कहा कि वह पहले भी कई बार भारत आ चुकी हैं। देश और यहां के लोग उन्हें बेहद पसंद हैं। भारत में काफी अच्छा लगता है।

 

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